फलसफे
- salil05
- May 2
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उम्मीदें बड़ी थीं खुद से
उम्मीदें बड़ी थीं तुमसे
उम्मीदें हुईं जिंदगी से
बन गईं ये बड़ी, हर खुशी से
ये ठोकर पड़ी थी मुझको
वो ठोकर पड़ी थी मुझको
फूल पलते ही हैं काटों में
ये चुभा करतें हैं सबको
और रास्ते हमारे बहुत थे
उन पे किसी पे हम थे
न जाने बाकी क्या थे
राज़ी थे या सितम थे
पैसा कमाया मैंने
शोहरत कमाई मैंने
ये सब कमाने खातिर
सब कुछ ही गंवाया मैंने
मेरी सारी बातें तुम्ही से
आती आती यादें तुम्ही से
हैं मेरे जज़्बात तुम्ही से
मेरी खुद से मुलाकात तुम्ही से

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