देखूँ तुझे – गीत
- salil05
- May 2
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देखूँ तुझे मन को ऐसा लागे
बुनता है तू मेरे खुलते धागे
आँखों में तेरी निंदिया आये
पिघला सा वक़्त धीमा हो जाये
तेरी उबासी ठंडी हवा सी
पत्ता पत्ता नाचे डाली डाली गाए
सोये तो यादें शैतानी की आए
जागे तो मुझको नादानी याद आए
तेरा हर रंग इक नई ऋतु
बरसों की बौछारें इक पल में आए
छोटा सा आया था हाथों में मेरे
झूला झुलाके सुलाया था मैंने
उस रात तूने जगाया बहुत
लेकिन तबसे नींदों में रस है
रातों में रस है

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