जब भी तू मुरझाती है
- salil05
- May 2
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शोक नाद बजते हैं
गीत सब सिसकते है
लय ताल टूट जाती है
जब भी तू मुरझाती है
सितारों की चमचम, पहाड़ों की गुंजन
लुट जाता है सब कुछ, चुभने लगता है चंदन
शशि की शीतलता खो जाती है
जब भी तू मुरझाती है
फूल बेरंग खिलते हैं
पंखुड़ियों में भी कांटे ही मिलते हैं
हर पत्ता हर शाख, राख हो जाती है
जब भी तू मुरझाती है
भेद दंड साम दाम
कुछ भी काम आता नहीं
कोशिशें विफल, चाहतें नाकाम
मुझसे तेरे भीतर
जाया जाता नहीं है
तुम्हारे रहस्य
सिर्फ तुम्हारे हैं
में उन्हें समझ कर
छोटा क्यूँ करूँ?

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